भोपाल. मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद हो गया है। अब प्रदेश की जनता को रिजल्ट का इंतजार है। वोटिंग प्रतिशत बढ़ने से जहां चुनाव आयोग खुश है वहीं, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। सरकार किसकी बनेगी और किसकी नहीं इसका फैसला इस बार प्रदेश में बढ़ी हुई तीन फीसदी वोटिंग तय करेगी।
सत्ता बदलेगा बढ़ा हुआ मतदान? : कौन होगा एमपी की सियासत का सरताज। किसे मिलेगी जीत और कौन होगा निराश। कहीं बंटेगी मिठाइयां तो कहीं पसरेगा सन्नाटा। इन सारे सवालों के जबाव जनता के पास है। जनता ने अपना फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है। इन ईवीएम में 230 उम्मीदवारों का भाग्य औऱ आने वाले पांच सालों के लिए मध्यप्रदेश की तकदीर कैद है। तो पहरा भी लाजमी है। जनता की चौकीदारी मिले ना मिले नेता ईवीएम की चौकीदारी जरूर कर रहे हैं। करें भी क्यों नहीं वोटिंग के बढ़े प्रतिशत ने इनका बीपी हाई कर दिया है। वोटिंग ट्रेंड के मुताबिक मतदान में इजाफा लोगों की नाराजगी माना जाता है। पिछले तीन बार के ट्रेंड को देखें तो ये भाजपा के पक्ष में रहा है। यही कारण है राजनीतिक पंडितों को अनुमान लगाने में बहुत माथापच्ची करनी पड़ रही है। कोई भी सौ फीसदी गारंटी के साथ सरकार बनाने की बात नहीं कह पा रहा है।
बढ़े मतदान से किसे फायदा: 2003 में करीब सात फीसदी की वृद्धि हुई जिससे कांग्रेस की सरकार सत्ता से बाहर हुई और भाजपा ने सरकार बनाई। ये वोटिंग बदलाव का कारक मानी गई। 2008 में दो फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ तो भाजपा सरकार फिर सत्ता में आई। 2013 के चुनावों में भी ढाई फीसदी ज्यादा लोगों ने मतदान किया और लगातार तीसरी बार भाजपा को सत्ता मिली। इस बार यानी 2018 में तीन फीसदी ज्यादा मतदान हुआ इसलिए ये माना जा रहा है कि इन तीन फीसदी वोटर्स ने ही जीत की इबारत लिखी है। चुनाव में एक और महत्वपूर्ण फैक्टर है महिला वोटिंग में भी तीन फीसदी की वृद्धि। जो भाजपा-कांग्रेस की जीत हार में अहम भूमिका निभाने वाला है।
ये रहा वोटिंग ट्रेंड
2018 - 75.05 फीसदी - परिणाम आना बाकी
2013 - 72.07 फीसदी - भाजपा सरकार
2008 - 69.67 फीसदी - भाजपा सरकार
2003 - 67.3 फीसदी - भाजपा सरकार
दोनों दलों ने किए जीत के दावे: कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि जनता की बंपर वोटिंग से साबित हो गया है कि उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है। लोग समर्थन का वोट देने बड़ी तादात में घर से बाहर नहीं निकलते। भाजपा सरकार से नाराज लोगों ने बढ़चढ़ कर उसके खिलाफ वोटिंग की है। वैसे भी ये लड़ाई कांग्रेस-भाजपा में नहीं बल्कि भाजपा और जनता में थी। जिसमें जनता जीती है जो 11 दिसंबर को पता चल जाएगा। महिला सुरक्षा के मुद्दे को कांग्रेस ने प्रमुखता से उठाया इसीलिए आधाी आबादी ने आगे बढ़कर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। वहीं, भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि जनता की वोटिंग विकास पर गई है। पिछली बार भी वोटिंग में इजाफा हुआ था जो कि सरकार के पक्ष में गया था, इसके पहले भी लोगों ने भाजपा की सरकार के विकास मॉडल को चुना था। इसीलिए वोटिंग प्रतिशत में वृद्धि सरकार के बदलाव का संकेत नहीं है। लोगों ने बीमारु राज्य से विकसित राज्य बनाने के भाजपा सरकार के प्रयासों की सराहना कर समृद्ध बनाने के लिए फिर जनादेश दिया है जो 11 दिसंबर को सामने आ जाएगा। महिलाएं सीएम को अपना भाई मानती हैं इसलिए उनकी वोटिंग में इजाफा हुआ है जोकि भाजपा के पक्ष में गया है।
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