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Monday, December 3, 2018

बड़ा खुलासा: मिले कागजात से सामने आया सच, गैस त्रासदी के प्रभावितों को दिया गया था गलत उपचार

भोपाल. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के पीएमओ से हासिल दस्तावेजों से भोपाल गैस त्रासदी के पीडि़तों को गलत उपचार देने का खुलासा हुआ है। यही कारण है कि त्रासदी के शिकार लोग बीमारियों से ग्रसित हैं और साल-दर-साल पीडि़तों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है।

पीएमओ के दस्तावेजों से सामने आया है कि इस भयानक त्रासदी को दबाने के लिए जो निर्णय लिए गए थे, वे बेहद खतरनाक थे। गैस रिसाव के बाद सरकार ने जर्मनी के डॉ. डॉन बैररो से संपर्क कर उनसे भोपाल के प्रभावित क्षेत्र का मुआयना कराया था। मृतकों के उत्तकों और पीडि़तों के ब्लड सैंपल के साथ हवा और मिट्टी के नमूनों के परीक्षण में यह सामने आया था कि यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस में साइनाइड भी थी। इसे निष्क्रिय करने के लिए डॉक्टर ने सोडियम थायोसल्फेट का इंजेक्शन दिए जाने की सिफारिश की थी। उनका तर्क था कि इससे पीडि़तों के शरीर में मौजूद साइनाइड के रसायन यूरिन के रास्ते निकल जाएंगे।

बड़ा खुलासा...
तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने इस सिफारिश को मंजूर कर सोडियम थायोसल्फेट के इंजेक्शन दिए जाने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन एक सप्ताह बाद ही सरकार ने अन्य डॉक्टरों की सलाह का हवाला देकर स्टेरॉयड और ब्रोंकोडायलेटर दिए जाने की सिफारिश कर दी। तीन महीने बाद ही हालात बिगडऩे पर सरकार ने मार्च 1985 में उपचार को पलट दिया और दोबारा पीडि़तों को सोडियम थायोसल्फेट इंजेक्शन की सिफारिश की गई। अंत में जून 1985 में इसे फिर से बंद कर दिया गया।

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भोपाल एक्शन एंड इनफॉरमेशन गु्रप की अध्यक्ष रचना ढींगरा के अनुसार यह सही है कि उस समय पीडि़तों को सोडियम थायो सल्फेट नहीं दिया गया, यदि उस समय यह दवाई दी जाती तो पीडि़तों के शरीर से जहर का असर कम हो जाता, लेकिन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने यूनियन कार्बाइड को बचाने के लिए जानबूझकर दवाएं नहीं दी। 2005 में आईसीएमआर ने अपनी स्टडी में लिखा था कि जिन लोगों को यह दवाई दी गई वे बाद में ठीक हो गए।

सोडियम थायो सल्फेट देने से हो रहा था साइनाइड रिसाव का खुलासा

गैस पीडि़तों को गलत उपचार दिए जाने के पीछे सोची-समझी चाल थी। तंत्र यूनियन कार्बाइड के मालिक एंडरसन को बचाने में लगा था। सोडियम थायो सल्फेट इंजेक्शन दिए जाने से यह खुलासा हो रहा था कि साइनाइड गैस का रिसाव हुआ था।
डॉ. डीके सतपथी, पूर्व डायरेक्टर मेडिको लीगल

जब हमें पता चला है कि लोगों को यह दवाई नहीं दी गई है तो हमने खुद अपनी क्लीनिक खोलकर 20 दिन तक 1300 लोगों को सोडियम थायो सल्फेट दिया। 7 दिन में ही पीडि़त ठीक होने लगे थे, लेकिन तब हमें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
सतीनाथ षडंगी, अध्यक्ष संभावना क्लीनिक

हालांकि मैं गैस त्रासदी के समय नहीं था, इसलिए उस समय की स्थिति के बारे में कुछ ज्यादा नहीं जानता, जो रिपोर्ट उपलब्ध हैं उनके मुताबिक गैस पीडि़तों में साइनाइड पाया गया था और ऐसे में सोडियम थायो सल्फेट उसका एंटी डोज है।
डॉ. आरआर तिवारी, डायरेक्टर, निरेह

 



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