भोपाल@हरीश दिवेकर की रिपोर्ट...
लोकायुक्त एडीजी रवि गुप्ता का तबादला नारकोटिक्स इंदौर किए जाने पर लोकायुक्त एनके गुप्ता ने पेच फंसा दिया है। उन्होंने एडीजी को कार्यमुक्त करने से इनकार करते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है कि यह तबादला उनकी सहमति के बगैर किया गया। इसके बाद वे गुरुवार कोअपने कार्यालय से चले गए। गृह विभाग ने लोकायुक्त के पत्र मिलने की पुष्टि की है।
यह मामला शुक्रवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ के समक्ष रखा जाएगा। सरकार बनने के एक पखवाड़े के भीतर यह पहला मामला है, जब सरकार के आदेश पर किसी संवैधानिक संस्था ने आपत्ति की है। सरकार ने एडीजी गुप्ता का तबादला कर उनकी जगह वी मधुकुमार को पदस्थ किया।
मधुकुमार को एक दिन पहले ईओडब्ल्यू डीजी से इंदौर में नारकोटिक्स का एडीजी बनाया गया था, लेकिन सरकार ने उनके तबादला आदेश में संशोधन कर पदस्थापना लोकायुक्त कार्यालय में कर दिया। मामले में प्रमुख सचिव गृह मलय श्रीवास्तव ने कहा कि लोकायुक्त एनके गुप्ता का पत्र हमें प्राप्त हुआ है। इससे ज्यादा आपको कुछ नहीं बता सकता।
लिखा- एडीजी को कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता
सूत्रों के अनुसार लोकायुक्त गुप्ता ने गृह विभाग को भेजे पत्र में लिखा है कि लोकायुक्त संगठन में नियुक्ति उनकी सहमति से होनी चाहिए, लेकिन एडीजी गुप्ता के तबादले में ऐसा नहीं किया गया। इसलिए उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता है। छह महीने पहले उनकी सहमति पर ही एडीजी गुप्ता को लोकायुक्त में पदस्थ किया गया था।
यह हमारा सरकारी पत्राचार है। इसे सार्वजनिक नहीं कर सकता। - एनके गुप्ता, लोकायुक्त
बनर्जी नहीं दे सके ज्वाइनिंग
एक दिन पहले लोकायुक्त कार्यालय में संजय माने की जगह पदस्थ किए गए दूसरे एडीजी सुशोभन बनर्जी अपनी ज्वाइनिंग देने लोकायुक्त कार्यालय पहुंचे। उन्हें भी लोकायुक्त डीजी अनिल कुमार ने यह कहकर ज्वाईन कराने से इनकार कर दिया कि उनके पास लोकायुक्त के आदेश नहीं आए हैं। वे अनुमति के बिना ज्वाइनिंग नहीं करा सकते।
यह है प्रक्रिया
लोकायुक्त संगठन के अधीन विशेष पुलिस पदस्थापना का काम करती है। संवैधानिक संस्था होने के तबादले के लिए लोकायुक्त की सहमति अनिवार्य है। नियुक्ति करने से पहले पुलिस मुख्यालय को अधिकारियों का पैनल देना होता है।
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