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Thursday, January 10, 2019

सरकार के आदेश की इस विभाग में उड़ रही धज्जियां, बाबू-अफसरों ने कमाई मोटी रकम

इंदौर. परिवहन आयुक्त ने भले ही नगरीय प्रशासन विभाग की मदद से आरटीओ से बाहरी लोगों को बाहर करने के लिए पत्र लिखा हो, लेकिन बगैर एवजियों के आरटीओ में एक पत्ता तक नहीं हिल सकता। पूरे सिस्टम का हिस्सा बन चुके इन एजेंट-एवजियों को निकालना अफसरों के लिए भी चुनौती बन चुका है। लगभग हर बाबू के पास एक से 10 तक एवजी हैं।

एक ही गुट से जुड़े हैं
खास बात यह है कि नायता मुंडला स्थित इंदौर परिवहन संकुल की हर टेबल पर मौजूद बाबू के एजेंट एक ही गुट से जुड़े हैं। आरटीओ में लंबे समय से जमे एक बाबू की कबड्डी टीम ही एवजियों की संरक्षक है। दिन में आरटीओ का काम और रात में ग्राउंड पर प्रैक्टिस एवजियों की दिनचर्या बन चुकी है। कई एजेंट-एवजी तो 20 से 25 वर्षों से यहीं काम कर रहे हैं। लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, परमिट सहित अन्य काम कोई भी बाबू बगैर एवजी के नहीं करता।

इन शाखाओं पर एवजियों का कब्जा
लर्निंग लाइसेंस, पक्के लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, ट्रांसफर, परमिट, फिटनेस सहित एक भी एेसी शाखा नहीं है जिस पर बाबू-अफसरों के साथ एवजी न हों। ये हैं अफसरों के खास बाली, तौसिफ, बाबा जरिया, भोला, राजेश तिवारी, सोनू कौशल, प्रदीप, नरेंद्र तिवारी, राजू चक्रधारी, शिवा, मुकेश सांखला, नरेंद्र, संतोष, हेमंत शर्मा।

इसलिए एवजियों की जरूरत
एजेंट, बाबू-अफसरों के बीच की कड़ी एवजी होता है। एजेंट काम लेकर आते हैं, जिन्हें बाबू करते हैं। हर काम एवजियों के जरिए होता है, क्योंकि बाबू या अफसर सीधे किसी से काम की बात नहीं करते। एवजियों की अलग सीट भी होती है और वह विभाग में उसी ठपे से काम करते हैं, जितने बाबू-अफसर। जब तक एवजी नहीं आते बाबू भी काम नहीं करते।

अच्छी खासी संपत्ति खड़ी की
आरटीओ में बरसों से जमे कुछ एवजियों ने यहां काम करते अच्छी खासी संपत्ति खड़ी कर ली है। कार, ट्रक मालिक होने के साथ ही आयकरदाता तक बन चुके हैं। बाबू कार से ऑफिस आते हैं। बाबू का काम सिर्फ अंगूठा लगाना होता है, बाकी काम एवजी ही देखते हैं, क्योंकि आजकल फाइलें थंब इंप्रेशन के जरिए वेरिफाई होती हैं।

दो घंटे बाद ही बुलाया था वापस
करीब डेढ़ वर्ष पहले पूर्व आरटीओ डॉ. एमपी सिंह ने एवजी-एजेंटों की लगातार बढ़ती शिकायतों पर एक ही झटके में हर शाखा में काम कर रहे बाबू-एजेंटों को कार्यालय के बाहर खदेड़ दिया था। एजेंट-एवजियों के जाते ही सारा काम ठप पड़ गया, क्योंकि फाइलें कहां रखी हैं और कौन सा कागज कहां मिलेगा इसकी जानकारी एवजियों को ही होती है। इसके चलते 2 घंटे बाद ही एक-एक कर बाबुओं ने अपने एवजियों को वापस बुला लिया।

कार्यालय में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पहले से ज्यादा सख्ती कर दी गई है। जल्द ही हर शाखा में काम करने वाले बाबू-अफसरों को बाहरी लोगों को शाखा प्रवेश न देने के निर्देश दिए जाएंगे। कोई प्रवेश की कोशिश करता
है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।
जितेंद्र सिंह रघुवंशी, आरटीओ



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