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Friday, January 4, 2019

अंग्रेजी विश्व ज्ञान की खिड़की, हिन्दी उसका द्वार है

भोपाल। केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली द्वारा कर्नाटक और महाराष्ट्र के हिंदी विभाग के चयनित विद्यार्थियों की अध्ययन यात्रा मध्यप्रदेश में आयोजित की जा रही हैं। इसी कड़ी में बुधवार को दल का संवाद एवं सम्पर्क कार्यक्रम महारानी लक्ष्मीबाई कन्या महाविद्यालय में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन प्राचार्य डॉ. ममता चंसौरिया और स्वागत स्थानीय संयोजक और विभागाध्यक्ष डॉ.उर्मिला शिरीष ने किया। विद्यार्थियों को भाषा और संस्कृति से जोडऩे के उद्देश्य से हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति विषय पर व्याख्यान भी आयोजित किया गया। जिसमें वक्ता डॉ.सुधीर कुमार शर्मा रहे। इस मौके पर डॉ. शर्मा ने कहा कि स्वाभिमानी राष्ट्र अपनी भाषा और संस्कृति पर सदैव गर्व करते हैं। अब यह दायित्व युवा पीढ़ी का है कि वह भाषाई दासता से मुक्त हो जाए। हमें अपने दैनिक कार्यों में हिंदी अथवा भारतीय भाषाओं का ही प्रयोग करना चाहिए।

भाषा के गुलाम ना बने
अंग्रेजी सीखने में कोई बुराई नहीं है लेकिन उसे सर्वश्रेष्ठ समझकर अपनी भाषा को छोटा सोचना, गलत है। अंग्रेजी रोजगार की भाषा हो सकती है, लेकिन आपसी संवाद की भाषा हमेशा हिन्दी या अपनी क्षेत्रीय भाषा ही होना चाहिए। अंग्रेजी यदि विश्व विज्ञान की खिड़की है तो हिंदी और भारतीय भाषाएं विश्व ज्ञान का विराट द्वार है। आवाजाही के लिए द्वार ही उचित होता है खिड़की नहीं। अब समय आने वाला है जब शिक्षा के लिए सभी अनुशासनों में हिंदी और भारतीय भाषाएं स्थापित होगी। इस अवसर पर डॉ.अणिमा खरे डॉ संगीता सक्सेना, डॉ. प्रज्ञा थापक, डॉ. विद्या निगम, डॉ.आशा गौतम, डॉ. विजयलक्ष्मी राय सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं। गौरतलब है कि अहिंदी भाषी राज्यों के विद्यार्थियों के बीच हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित प्रतिवर्ष किया जाता है। इस अवसर पर दल की संयोजक डॉ. गांधारी, दिव्या भट्ट और दल प्रभारी अजय कुमार कामली तथा विद्यार्थियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।

 



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