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Tuesday, March 12, 2019

मुनाफाखोरी : किसानों से डेढ़ रुपए में खरीद 25 रुपए किलो में बेच रहे प्याज

इंदौर. प्याज के दाम से किसान से लेकर आम उपभोक्ताओं तक के आंसू निकल रहे हैं। प्रदेशभर में प्याज की लागत मूल्य ना निकल पाने से नाराज किसान खेतों में फसलों को आड़ी कर रहे हैं। सरकार ने भी किसानों के प्याज को लेकर दाम तय किए, लेकिन खेरची बाजार में प्याज के अभी भी दो से तीन गुना दामों में बिक रहा है। खेरची बाजार में भाव पर सरकार का नियंत्रण न होने से यह स्थिति बन रही है। मंडी में किसानों का प्याज डेढ़ से लेकर आठ रुपए प्रति किलो व्यापारी खरीद रहे हैं, जबकि यही प्याज खुले बाजार में आम उपभोक्ताआें को 10 से लेकर 25 रुपए प्रति किलो खरीदना पड़ रहा है। किसानों से उभोक्ताओं को पहुंचने वाले प्याज के भाव में 10 से 15 रुपए तक का फर्क आ रहा है। हालांकि इस फर्क को लेकर व्यापारियों के अलग अलग तर्क है।

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मंडी में प्याज के दामों के कारण राजनीति में उबाल भी आ रहा है। कलेक्टोरेट पर दो दिन पहले भाजपा के साथ किसानों ने क्विंटलों प्याज सडक़ पर फेंके थे। बाजार में प्याज के दाम अधिक हैं। इससे उपभोक्ता भी इस बात को नहीं समझ पा रहा है कि प्याज के दामों में इतना अंतर क्यों आ रहा है। अधिकारियों का कहना है, किसानों से उपभोक्ताओं तक प्याज खेरची व्यापारियों से होते हुए खरीदारों के पास पहुंचती है। इसमें टैक्स सहित, भाड़ा और उनकी मेहनत जुड़ी होती है। इससे प्याज के भाव बाजार में ज्यादा हो जाते हैं।

आढ़त प्रथा एक कारण

आढ़त प्रथा बंद हुए 60 साल हो गए हैं। इसके तहत सब्जी बेचने वाले किसान से आढ़तिया (100 रुपए पर पांच या 10 रुपए) पांच से 10 फ ीसदी राशि वसूलता था। सरकार ने इस प्रथा पर रोक लगा दी। अब यह आढ़त किसान से वसूलकर खेरची व्यापारी से वसूली जाती है। खेरची व्यापारी भी आढ़त, मंडी टैक्स, भाड़ा और मेहनत पूरी उपभोक्ताओं से वसूलता है। इस कारण लोगों तक पहुंचते-पहुंचते दाम बढ़ जाते हैं।

5 किलो से अधिक पर लेना होता था लाइसेंस

मंडी अधिकारी की मानें तो साल 2000 से पहले पांच किलों से अधिक की सब्जी सहित अन्य उपज बेचने पर मंडी प्रशासन से खेरची लाइसेंस लेना होता था, लेकिन इसके बाद इसे बंद कर दिया गया।

आढ़त से नहीं लेते

- किसानों से आढ़त नहीं ली जाती है। किसानों से उपज खरीदकर खेरची व्यापारियों को बेची जाती है। खेरची व्यापारियों से कमीशन लिया जाता है। व्यापारी मंडी टैक्स, आढ़त और हम्माली भी देना होती है। इन्हीं कारणों से दाम बढ़ जाते है।
ओमप्रकाश गर्ग, अध्यक्ष आलू-प्याज मंडी

- भाव पर नियंत्रण नहीं-खेचरी बाजार में भाव पर नियंत्रण नहीं है। भाव से संबंध में व्यापारी ही सहीं जानकारी दे सकते हैं। हालाकि प्रशासन की पूरी नजर है, किसान से लेकर आमजन को परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
कैलाश वानखेडे़, अपर कलेक्टर



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