Today and Tomorrow Live

Wednesday, March 13, 2019

थांदला के 27 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर ने 4 लाख रुपए का पैकेज छोड़ पकड़ी वैराग्य की राह

इंदौर. थांदला निवासी 27 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर मयंक पावेचा सांसारिक मोह-माया छोडक़र मोक्ष प्राप्ति के लिए वैराग्य की राह पर निकल पड़े। मंगलवार को गुमाश्ता नगर से दीक्षार्थी मंयक पावेचा का वरघोड़ा निकाला। अभिनंदन समारोह में मूकप्राणियों को जीवनदान देने का अनूठा संकल्प लिया। मंयक अक्षय तृतीया पर समग्र जैन समाज की मौजूदगी में जिनेंद्र मुनि के सान्निध्य में दीक्षा ग्रहण कर संयम के मार्ग पर अग्रसर होंगे। नाम के अनुरूप उन्होंने जीवन को चंद्रमा सा रोशन करने के लिए संयम मार्ग चुना है।
थांदला निवासी कोचिंग क्लास संचालक पिता प्रमोद पावेचा और माता किरण के इकलौते बेटे मयंक का बचपन से ही रुझान अध्यात्म की तरफ रहा। बेसिक एजुकेशन के बाद इंदौर पहुंचे और यहीं पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई किया। होनहार मयंक ने साथियों की भांति जॉब भी शुरू किया। वर्तमान में उनका पैकेज करीब चार लाख रुपए का था, जिसे छोडक़र वह वैराग्य धारण कर रहे हैं। उनका कहना है, माता-पिता के प्रति दायित्व समझता हूं। लेकिन अनंत बार जीवन-मरण की प्रक्रिया से दूर होकर मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढऩा चाहता हूं। माता,पिता, गुरु उपकारी हैं, जिनके संस्कारों से ही इस मार्ग पर अग्रसर हूं। संसारवृत्ति छोडऩे पर बहन-जीजा व अन्य परिवारजन माता-पिता को इस अभाव से दूर रखेंगे।
वरघोड़ा निकला, समाजजन हुए शामिल
जैन श्वेताम्बर सोश्यल ग्रुप प्रीमियम मेन के संस्थापक राजेश जैन ने बताया कि भौतिक चकाचौंध को छोडक़र जीवन को सार्थकता प्रदान करने के लिए मुमुक्षु मयंक पावेचा अक्षय तृतीया को आचार्य उमेश मुनि महाराज के शिष्य जिनेंद्र मुनि से जैन दीक्षा लेंगे। दीक्षा के अनुमोदनार्थ इंदौर में नरेंद्र तिवारी मार्ग, उषानगर, स्कीम 71, गुमास्तानगर क्षेत्र में मुमुक्षु मयंक पावेचा एवं वर्षीतप तपस्वी अशोक श्रीश्रीमाल, दीपमाला श्रीश्रीमाल व माया वागरेचा की शोभायात्रा निकली। वर्षीदान के वरघोड़े के मार्ग पर दीक्षार्थी व तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। दीक्षार्थी के माता-पिता को अभिनंदन पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया। वरघोड़े में समग्र जैन समाज बंधुओं के साथ अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी शामिल हुए। जैन ने बताया कि शारीरिक संसार छोडऩा आसान है पर मानसिक संसार छोडऩा कठिन है। आज संयोग से मंदिरमार्गी व स्थानकवासी के विचारों का समागम इस आयोजन की गरिमा है। कार्यक्रम का संचालन अशोक श्रीश्रीमाल व आभार सुनील जैन व गौतम श्रीश्रीमाल ने व्यक्त किया।

indore jain samaj

मूक प्राणियों को जीवनदान का संकल्प
वरघोड़े के अवसर पर संकल्प गया लिया कि 50 से अधिक मूक व निरह प्राणियों को कत्लखाने जाने से बचाकर गौ शाला पहुंचाएंगे। अभा श्री राजेंद्र जैन नवयुवक परिषद, इंदौर, राणापुर, जोधपुर व जालना शाखा के माध्यम से बीमार और अयोग्य वृद्ध पशुओं को खरीदा जाएगा।
दीक्षा क्यो? _ स्वयं में स्वयं को स्वयं से खोजना है
दीक्षा क्यों संवाद में दीक्षार्थी मयंक पावेचा बोले, बाल्य काल से धर्म में रुचि और साधु-साध्वी से संसार को देखने की समझ मिली। आत्मा को शुद्ध-बुद्ध बनाने के लिए संयम जरूरी है। मोक्ष के लिए संयम एकमात्र मार्ग है। जहां साधनों को छोड़ साधना कर स्वयं में स्वयं को स्वयं से खोजा जा सकता है।

indore jain samaj diksha

from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2TIbKeu

No comments:

Post a Comment

Pages