भोपाल। पर्यटन विकास निगम ने शहर में ही नए-नए प्रोजेक्ट लेकर कुछ प्रयोग किए, जो फेल हो गए। करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यटन विकास निगम ने पांच जगह पांच व्यवसायिक यूनिट बनाई, लेकिन एक भी नहीं चल पाई। निगम के अफसरों ने होटल के बजाय छोटी-छोटी यूनिट के जरिए व्यापार बढ़ाने की योजनाएं बनाई, लेकिन यह सिर्फ कागजी साबित हुई।
जब यह यूनिट नहीं चल पाई तो करीब एक करोड़ रुपए की लागत से हथाईखेड़ा डेम पर बनाए गए बोट क्लब नगर निगम को हेंडओवर कर दिया। नगर निगम भी इसे नहीं चला पा रहा है। यहां व्यवसाय के लिहाज से स्कोप नहीं होने के कारण ये यूनिट फ्लॉप हो गई। यही नहीं, निगम के अफसरों ने सैर सपाटा में एक रेस्टोरेंट और बार भी खोला था, लेकिन यह भी नहीं चल पाया।
वहीं भोजपुर में लाखों रुपए खर्च कर रैन बसेरा के लिए भवन बनाया गया, इसके उदघाटन के बाद से ही यहां ताला लगा हुआ है। अब इन प्रोजेक्ट का मेंटेनेंस और सुरक्षा करना निगम के लिए मुश्किल बन गया। इनमें से कुछ यूनिट अब पर्यटन विकास बोर्ड को दे दी गई।
क्यों फ्लॉप हो गई
अफसरों ने इन क्षेत्रों में पर्यटन की वायबिलीटी का सर्वे तो किया, लेकिन यहां व्यापारिक फ्लो कितना होगा, इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अफसरों ने नए-नए कंसेप्ट लाकर भवन खड़े कर दिए, लेकिन जहां निर्माण किया गया हैं, वहां व्यापारिक गतिविधियां नहीं होने के कारण इन प्रोजेक्ट में ताला लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि पर्यटन निगम के अफसरों ने कमीशन के कारण निर्माण पर तो जोर दिया, लेकिन यहां कितना व्यवसायिक फ्लो मिलेगा इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
यह प्रोजेक्ट हो गए फेल
१. सैर सपाटा रेस्टोरेंट
पर्यटन विकास निगम ने प्रेमपुरा स्थित सैर सपाटा में भव्य रेस्टोरेंट बनाया। इसे निजी हाथों में दे दिया। लेकिन सैर सपाटा में छोटी-छोटी चाट-चौपाटी की खान-पान की दुकाने खोली गई। इसके कारण निगम का यह भव्य रेस्टोरेंट में ग्राहक नहीं पहुंचे। लगातार घाटा होने लगा। करीब दो साल से इसमें ताला लगा हुआ है।
२. सैर सपाटा बार
सैर सपाटा में ही निगम ने तालाब के किनारे शानदार बार शुरु किया। इसका संचालन पर्यटन ने अपने हाथों में रखा। शुरुआत में यह खूब चला। तालाब के किनारे और सुंदरता के कारण होटल विंड एंड वेव के बार की तरह ही यह बार भी चलने लगा था। निगम की लापरवाही के कारण खर्चे अधिक होते गए। घाटा होने लगा। अब करीब दो साल से इसमें भी ताला लगा हुआ है।
३. हथाईखेड़ा बोट क्लब
पर्यटन विकास निगम ने हथाईखेड़ा में बोट क्लब बनाया गया। कैफेटेरिया, गार्डन सहित कई सुविधाओं पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च किया गया। बनने के बाद लगभग दो साल तक इसका संचालन नहीं हो पाया। बाद में पर्यटन विकास निगम ने इसे चलाने के बजाय नगर निगम को देने का प्रस्ताव तैयार किया यहां लोगों की आवाजाही नहीं होने और पहुंचने के लिए ठीक रास्ता नहीं होने के कारण यह नहीं चल पाया। नगर निगम को हेंडओवर कर दिया, लेकिन यहां व्यवसायिक स्कोप नहीं होने के कारण यह क्लब असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है।
४. रैनबो ट्रीट-
मनीषा मार्केट स्थित रैनबो ट्रीट बनाने के लिए राजधानी परियोजना प्रशासन से जमीन ली गई। यहां अच्छा रेस्टोरेंट तैयार किया गया। लेकिन शाहपुरा तालाब के आसपास चाट-चौपाटी होने के कारण इसका व्यापार कमजोर रहा। बाद में यहां से चाट-चौपाटी हटाई गई। निगम ने भी रैनबो को निजी हाथों में दे दिया, लेकिन यहां भी अब ताला लगा हुआ है। सैर सपाटा की तरह ही यहां कई दुकाने खोल दी इसलिए रेस्टोरेंट नहीं चल पाया।
५. भोजपुर और आशापुरी में आम लोगों के लिए रैन बसेरा बनाए। इनका उदघाटन किए करीब चार साल हो गया। अब तक यहां ताला लगा हुआ है। इसकी देखरेख और चौकीदारी पर निगम को खर्च करना पड़ रहा है।
कुछ प्रॉपर्टी हमने नगर निगम को सौंप दी। भोजपुर का रैन बसेरा भी किसी को लीज पर दिया है। कुछ प्रॉपर्टी पर्यटन बोर्ड के पास है। मैं भी अभी-अभी आया हूं, इसलिए अधिक जानकारी नहीं दे पाउंगा।
- आकाश श्रीवास्तव महाप्रबंधक, पर्यटन विकास निगम
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