
नई दिल्ली।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर तक) में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत तक कम हो सकता है। यह दावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक अधिकारी ने अपनी पूर्वानुमान रिपोर्ट में किया है। यह रिपोर्ट आरबीआई की मासिक बुलेटिन में प्रकाशित हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह मुसीबत कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से आई है। माना जा रहा है कि लगातार दो तिमाही में जीडीपी घटने से देश पहली बार मंदी के संकट में घिर गया है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि गतिविधियां धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं और इससे संकुचन की दर भी सुधर रही है। रिपोर्ट में स्थिति जल्द बेहतर होने की उम्मीद भी जताई गई है।
बता दें कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन का बुरा असर पहली तिमाही (अप्रैल से जून) पर पड़ा था और तब जीडीपी 23.9 प्रतिशत तक कम हो गई थी। हालांकि, दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) की जीडीपी के सरकारी आंकड़े अभी तक नहीं आए हैं, मगर आरबीआई के कुछ विशेषज्ञ अधिकारियों ने त्वरित आकलन के आधार पर अनुमान लगाया है कि जुलाई से सितंबर की तिमाही का जीडीपी 8.6 प्रतिशत तक रह सकती है।
पहली बार बनी यह स्थिति
आरबीआई के अधिकारी पंकज कुमार की ओर से तैयार की गई यह पूर्वानुमान रिपोर्ट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मासिक बुलेटिन में प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत तकनीकी रूप से वर्ष 2020-21 की पहली छमाही (मार्च से सितंबर) में अपने इतिहास में पहली बार आर्थिक मंदी के दौर में चला गया है। इकोनॉमिक्स एक्टिविटी इंडेक्स यानी आर्थिक कामकाज का सूचकांक शीर्षक से प्रकाशित लेख में बताया गया है कि पहली की तरह दूसरी तिमाही में भी आर्थिक संकुचन हो सकता है।
जल्द राहत के संकेत भी दिए
वैसे, आरबीआई ने पहले से अनुमान लगा रखा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। हालांकि, रिपोर्ट में राहत की उम्मीद जताते हुए यह भी कहा गया है कि गतिविधियां धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं और इसके साथ ही संकुचन की दर भी कम हो रही है। इससे स्थिति जल्द ही बेहतर हो सकती है।
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