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Sunday, January 21, 2024

1045 पन्ने, 527 बार अयोध्या..417 बार राम..और हो गया फैसला

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 नवंबर, 2019 को करीब 150 से साल से चल रहे अयोध्या मामले से जुड़े कई मुद्दों को सुनवाई के बाद हमेशा के लिए खत्म कर दिया। 1045 पन्नों के फैसले में 527 बार अयोध्या और 417 बार राम का उल्लेख किया गया। इस फैसले को सुनाने वाले कई जज रिटायर हो गए। एक जज वर्तमान में सीजेआइ है।

खास बात है कि इन जजों को प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया है।

यही थी संविधान पीठ

1. जस्टिस रंजन गोगोई, मुख्य न्यायाधीश

रंजन गोगोई 17 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के सीजेआइ के पद से रिटायर हुए। राष्ट्रपति ने चार माह के बाद उन्हें राज्यसभा सांसद के तौर पर मनोनीत किया था। जस्टिस गोगोई ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) सहित कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले दिए।

2. जस्टिस एसए. बोबडे

महाराष्ट्र में जन्मे जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, रंजन गोगोई के बाद देश के 47वें सीजेआइ बने और 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर हुए। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद आधिकारिक सार्वजनिक पद नहीं संभाला। वे महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी नागपुर के चांसलर हैं।


3. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के मौजूदा सीजेआइ हैं। उन्होंने नवंबर 2022 में पद संभाला। जस्टिस चंद्रचूड़ कई संवैधानिक पीठों में रह चुके हैं। उन्हें मौलिक अधिकारों पर उदारवादी दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। उन्होंने निजता के अधिकार, व्यभिचार जैसे कई मुद्दों पर फैसले सुनाए हैं।


4. जस्टिस अशोक भूषण
उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले जस्टिस अशोक भूषण जुलाई, 2021 को रिटायर हुए थे। बाद में उन्हें नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल का चेयरपर्सन बनाया गया। उन्होंने इच्छा मृत्यु का अधिकार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों के मामले पर सुनवाई की।


5. जस्टिस अब्दुल नजीर
कर्नाटक के रहने वाले जस्टिस अब्दुल नजीर 4 जनवरी, 2023 में रिटायर हुए। इसके बाद आंध्र प्रदेश के राज्यापाल रहे। वे फैसला सुनाने वाले 5 जजों में एकमात्र मुस्लिम थे। उन्होंने एएसआइ के रिपोर्ट को सही ठहराया। जस्टिस नजीर नोटबंदी मामले में फैसला सुनाने वाली पीठ में भी शामिल थे।


जज का नाम नहीं, क्योंकि...अदालत का फैसला था
सुप्रीम कोर्ट में परंपरा के मुताबिक पीठ की ओर से दिए निर्णय को लिखने वाले जज का नाम भी इसमें लिखा जाता है। मगर 1045 पन्नों वाले अयोध्या फैसले को किसने लिखा, इसका उल्लेख कहीं नहीं किया गया। इस मामले का हाल ही में वर्तमान सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि इस फैसले को लिखने वाल जज का नाम नहीं होगा बल्कि यह अदालत का फैसला होगा। ऐसा करने के पीछे का विचार यह स्पष्ट संदेश देना था कि हम सभी न केवल अंतिम परिणाम में, बल्कि फैसले में बताए गए कारणों में भी एक साथ हैं।



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