वॉशिंगटन. पूरी दुनिया जब नए साल का धूमधाम से स्वागत कर रही थी, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) के अंतरिक्ष यात्रियों ने एक ही दिन में 16 बार नए साल का अनुभव किया। पृथ्वी आम तौर पर एक दिन में 12 घंटे रोशनी (दिन) और 12 घंटे अंधेरे (रात) से गुजरती है। यानी यहां 24 घंटे में एक बार सूर्योदय और एक बार सूर्यास्त होता है, जबकि आइएसएस पर अंतरिक्ष यात्री 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं, क्योंकि इतने समय में आइएसएस पृथ्वी के 16 चक्कर पूरे करता है।
नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि आइएसएस बहुत तेजी से पृथ्वी के चारों ओर इसकी निर्बाध कक्षा में घूमता रहता है। करीब 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों को एक ही दिन में कई बार सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुभव का अनूठा मौका मिलता है। वे यात्रा के दौरान विभिन्न टाइम जोन को पार करते हैं। एक पृथ्वी दिवस में दिन-रात की कई साइकल का सामना करना आइएसएस के चालक दल के लिए नियमित घटना है। आइएसएस पांच अंतरिक्ष एजेंसियों की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी से संचालित किया जा रहा है।
24 घंटे के दौरान 16 सूर्योदय और सूर्यास्त
धरती पर एक दिन में 12 घंटे की रोशनी और 12 घंटे के अंधेरे के पैटर्न के विपरीत आइएसएस के अंतरिक्ष यात्री 45 मिनट की रोशनी और 45 मिनट के अंधेरे से गुजरते हैं। यह दोहराव दिन में 16 बार चलता है। इसके कारण 24 घंटे के दौरान 16 सूर्योदय और सूर्यास्त होते हैं। दिन और रात के बीच बदलाव अंतरिक्ष यात्रियों को सूक्ष्म जीव विज्ञान और धातु विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग का अवसर देते हैं।
सर्केडियन रिदम बनाए रखना चुनौतीपूर्ण
आइएसएस पर मुख्य रूप से सात अंतरिक्ष यात्री काम करते हैं, लेकिन जब क्रू हैंडओवर करते हैं तो कई अंतरिक्ष यात्री मौजूद रहते हैं। आइएसएस पर विशिष्ट हालात ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ बढ़ाने में योगदान करते हैं। ग्रीनविच मीन टाइम के पालन के बावजूद आइएसएस पर सर्केडियन रिदम (मानव मस्तिष्क की लय) बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।
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