Indian Air Force personnel murder case: वायुसेना के जवानों पर हमले के मामले में चश्मदीद गवाह ने यासीन मलिक को पहचान लिया है। इसके बाद जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वायुसेना के पूर्व कर्मी राजवार उमेश्वर सिंह ने गुरुवार को जम्मू की सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) की विशेष अदालत में गवाही देते हुए कहा कि यासीन मलिक ने अपना 'फेरन’ उठाकर हथियार निकाला और भारतीय वायुसेना कर्मियों के समूह पर गोलियां चला दीं।
हमले में चार जवार की मौत, 40 लोग घायल
श्रीनगर के रावलपुरा में 25 जनवरी, 1990 को हुए हमले में वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार कर्मियों की मौत हो गई थी और 40 लोग घायल हो गए थे। हमले में उमेश्वर सिंह बच गए थे। उन्होंने अदालत में मलिक को मुख्य हमलावर बताया। इस मामले में सीबीआई ने 31 अगस्त, 1990 को जम्मू में टाडा अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दाखिल किया था। इसमें यासीन मलिक, अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुस्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ 'नलका’, शौकत अहमद बख्शी, जावेद अहमद जरगर और नानाजी शामिल हैं। मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल से वीडियो के जरिए अदालती कार्यवाही में शामिल हुआ, जहां वह 2019 से कैद है।
मलिक का गवाह से जिरह से इनकार
सीबीआई की सीनियर पब्लिक प्रोसेक्यूटर मोनिका कोहली ने मलिक को चश्मदीद गवाह से जिरह करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उसने इनकार कर दिया। मलिक अदालत में प्रत्यक्ष रूप से पेश किए जाने के लिए जोर दे रहा है। मलिक के खिलाफ 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का मामला भी चल रहा है।
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