भोपाल. आज 34 साल बाद एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी के बीती खौफनाक रात लोगों की आंखों में दिखायी दे रही। गैस पीड़ित हाथों में मशाल लेकर सड़कों पर जूलुस निकाल रहें। इसी बीच एक बुजुर्ग महिला की आंखें भर आयी और बीते 35 साल के उस डरावनें तस्वीर को बयां करने लगी।
भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने में जहरीली गैस के रिसाव से हुई थी। कड़ाके की ठंड रात में हुए इस हादसे में तकरीब 8000 लोगों की जान चली गई थी। वहीं 8000 से ज्यादा लोग इसके दुष्प्रभाव की वजह से बीमार होकर दम तोड़ चुके हैं। इस डरावने मंजर पर बॉलीवुड में कई फिल्में भी बन चुकी हैं।
भोपाल एक्शन एंड इनफॉरमेशन गु्रप की अध्यक्ष रचना ढींगरा के अनुसार यह सही है कि उस समय पीडि़तों को सोडियम थायो सल्फेट नहीं दिया गया, यदि उस समय यह दवाई दी जाती तो पीडि़तों के शरीर से जहर का असर कम हो जाता, लेकिन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने यूनियन कार्बाइड को बचाने के लिए जानबूझकर दवाएं नहीं दी। 2005 में आईसीएमआर ने अपनी स्टडी में लिखा था कि जिन लोगों को यह दवाई दी गई वे बाद में ठीक हो गए।
सोडियम थायो सल्फेट देने से हो रहा था साइनाइड रिसाव का खुलासा
गैस पीडि़तों को गलत उपचार दिए जाने के पीछे सोची-समझी चाल थी। तंत्र यूनियन कार्बाइड के मालिक एंडरसन को बचाने में लगा था। सोडियम थायो सल्फेट इंजेक्शन दिए जाने से यह खुलासा हो रहा था कि साइनाइड गैस का रिसाव हुआ था।
डॉ. डीके सतपथी, पूर्व डायरेक्टर मेडिको लीगल
जब हमें पता चला है कि लोगों को यह दवाई नहीं दी गई है तो हमने खुद अपनी क्लीनिक खोलकर 20 दिन तक 1300 लोगों को सोडियम थायो सल्फेट दिया। 7 दिन में ही पीडि़त ठीक होने लगे थे, लेकिन तब हमें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
- सतीनाथ षडंगी, अध्यक्ष संभावना क्लीनिक
हालांकि मैं गैस त्रासदी के समय नहीं था, इसलिए उस समय की स्थिति के बारे में कुछ ज्यादा नहीं जानता, जो रिपोर्ट उपलब्ध हैं उनके मुताबिक गैस पीडि़तों में साइनाइड पाया गया था और ऐसे में सोडियम थायो सल्फेट उसका एंटी डोज है।
- डॉ. आरआर तिवारी, डायरेक्टर, निरेह
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