भोपाल. कांग्रेस की नई सरकार शहर के बीच के 22 किलोमीटर लंबे बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) कॉरिडोर को हटाने की बात कर रही है, लेकिन ये इतना आसान नहीं है। इसके हटने से शहरवासी परेशान न हों इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा, जो बेहद खर्चीला होगा। विशेषज्ञों की मानें तो इस 22 किमी लंबे बीआरटीएस के निर्माण में जितना खर्च हुआ है, उसका 40 फीसदी अब इसे हटाने में लगेगा। इसके लिए बाकायदा एक्सपर्ट एजेंंसी को हायर कर डीपीआर बनवाना होगी। तकनीकी आधारों पर डीपीआर में बताया जाएगा कि बीआरटीएस को सामान्य मुख्यमार्ग में बदलने किन पाइंट्स पर क्या काम किए जाएं? इन कामों को करने के लिए बड़ी राशि खर्च होगी। एक्सपट्र्स का कहना है कि बीआरटीएस के 22 किमी के हिस्से के निर्माण में यदि 300 करोड़ रुपए का खर्च किया गया है तो इसे हटाने में 100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आएगी।
हटा तो 12 प्वाइंट्स पर दुर्घटना की स्थिति बनेगी
कॉरिडोर के डेटिकेटेड लेन की रेलिंग हटाकर इसे खत्म नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने से 22 किमी के कॉरिडोर में 12 पाइंट्स पर ट्रैफिक जाम और दुर्घटना की स्थिति बन जाएगी। ट्रैफिक व रोड इंजीनियरिंग के अनुसार इन पाइंट्स को चिह्नित कर यहां निर्बाध ट्रैफिक के लिए आइलैंड, रोटरी, सिग्नलिंग की जरूरत होगी।
अभी इस 24 से 30 मीटर चौड़े कॉरिडोर को खत्म करने पर सडक़ का अलग से ड्रेनेज सिस्टम विकसित करना होगा। ऐसा नहीं किया तो फिर जलभराव की स्थिति और सडक़ के टूटने की आशंका बढ़ जाएगी।
कॉरिडोर के जिस हिस्से में डेडिकेटेड लेन है वहां बस स्टॉप बीच में है। यदि डेडिकेटेड लेन हटाई गई तो स्टॉप भी हटाने होंगे। ऐसे में नई जगह पर नए स्टॉप बनाने खर्च करना होगा।
रैलिंग हटाकर इसके बीच में नए डिवाइडर लगाने होंगे। सिग्नलिंग की नई व्यवस्था के साथ कुछ नए चौराहे भी विकसित करने होंगे।
सिविल इंजीनियर की बात करें तो बीआरटीएस को हटाने डीपीआर बनाना होगी। तकनीकी बिंदुओं पर इसे परखने के बाद तय होगा कि हटान से कहां ट्रैफिक और एक्सीडेंट की स्थिति बनेगी। इससे बचने कहां, क्या निर्माण किए जाएं। इसके लिए बड़ा खर्च भी होगा। इसे हटाने की शुरुआत इसके शुरुआती या फिर आखिरी एंड से ही होगी। बीच से इसे हटाने का काम नहीं हो सकता।
प्रो. एसपीएस राजपूत, विशेषज्ञ सिविल इंजीनियरिंग, मैनिट
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