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Thursday, January 10, 2019

मकर संक्रांति 2019: भीष्म पितामह ने देह त्यागने के लिए क्यों चुना था मकर संक्रांति का दिन, जानें इस दिन का महत्व

हिंदू धर्म में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। उन सभी विशेष त्यौहारों में से एक है मकर संक्रांति, जो की हर साल जनवरी माह में मनाया जाता है। इस त्यौहार को भारत के हर राज्य में अपने अलग अंदाज और अलग परंपरा के साथ मनाते हैं। कहीं इसे मकर संक्रांति कहा जाता है तो कहीं लोहड़ी, कहीं पोंगल और कहीं इसे अत्तरायन कहकर मनाया जाता है। इस बार यह पर्व देशभर में 15 जनवरी को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता हैं जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन से सभी शुभ कार्य व मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं। इसलिए इस दिन दान, स्नान और तिल, गुड़ का विशेष महत्व माना जाता है।

makar sankranti 2019

भीष्म पितामह ने इसलिए चुना था मकर संक्रांति का दिन

यह बात बहुत कम लोग जानते हैं की महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही दिन चुना था। क्योंकी मकर संक्रांति का ही वह दिन था जब गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। शास्त्रों में यह समय देवताओं का दिन दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है। मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायण होने से गरम मौसम की शुरुआत होती है। यही कारण है की संक्रांति मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन दान पूण्य के साथ-साथ तिल गुड का सेवन किया जाता है और इसके साथ ही जनेऊ भी धारण करने की भी परंपरा है। तथा जो भी लोग जरुरत मंद हो उन्हे भोजन अवश्य कराना चाहिए और भोजन कराने के बाद कुछ चीज दान करनी चाहिए।



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