इंदौर. शिक्षा को सिर्फ ज्ञान अर्जित करने के रूप में देखा जा रहा है। तकनीक के इस युग में यह प्रश्न जटिल है कि शिक्षा विषयों के साथ नैतिक मूल्यों की आधारशिला पर एक जिम्मेदार नागरिक कैसे तैयार किए जाएं? यह बोलना जितना सरल है, उसे करना उतना ही कठिन है। सिर्फ कॉलेज या यूनिवर्सिटी स्तर पर जिम्मेदार नागरिक नहीं बनाए जा सकते। आंगनबाड़ी और घर से ही यह शिक्षा बच्चों को मिलना चाहिए। यह कहना है कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का। वे रविवार को देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में 2016-2017 बैच के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थी। समारोह में अलग-अलग संकाय के टॉपर विद्यार्थियों को 116 गोल्ड और 15 सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूजीसी के चेयरमैन प्रो.डीपी सिंह व विशेष अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने भी डिग्री पूरी करने वालों को संबोधित किया। अतिथियों का स्वागत फूलों की जगह पुस्तकों व फलों से किया गया। ये पुस्तकें सरकारी स्कूल की छात्राओं को दी गईं।
नैक में सुधार के लिए और करें प्रयास
कुलाधिपति ने देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के बारे में कहा कि नैक से सबसे पहले ए ग्रेड लाने वाली डीएवीवी का फिर से मूल्यांकन होना है। मेरी आशा है कि इस बार और अच्छा प्रदर्शन देखने को मिलेगा। नैक के हिसाब से जो कमियां है उन्हें ढूंढ़े और दूर करने के प्रयास किए जाएं। कुलाधिपति ने कहा, हमारे यहां महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए कई योजनाएं हैं। जबकी, लडक़ी का विकास 10 साल की उम्र से होने लगता है। इसी उम्र से सही खान पान मिलना चाहिए। हमने सभी यूनिवर्सिटी को लड़कियों के हीमोग्लोबिन की जांच के लिए कहा है। अब तक 1 लाख लड़कियों की जांच भी हो चुकी है, जिनका हीमोग्लोबिन कम है, उनके माता-पिता को बुलाकर सही खान पान के बारे में बताया जाएगा। 6 महीने बाद फिर जांच करवाएंगे।
फिर उठी मॉडल यूनिवर्सिटी की मांग
कुलपति प्रो.नरेंद्र धाकड़ ने अपने उद्बोधन में टॉपरों को शुभकामनाएं देने के बाद उच्च शिक्षा मंत्री से ब्लॉक ग्रांट बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा, 1996 से हमें एक जैसी ब्लॉक ग्रांट मिल रही है, जबकि इसके बाद पांचवें से लेकर सातवां वेतन आयोग लागू हो गया। उच्च शिक्षा मंत्री पटवारी ने कहा, मैंने यहां आंदोलन भी किए थे और शिक्षकों का प्यार भी मुझे मिला। अब मेरा दायित्व है कि डीएवीवी को आदर्श यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलवाऊं। पटवारी ने डीएवीवी का मतलब डी से डायनामिक, ए से अकाउंटेबल, वी से विजनरी बताते हुए कहा, ये तीनों होंगे तो आखिरी वी मतलब विक्ट्री तो मिल ही जाएगी।
चुनौती ज्यादा मगर संभावनाएं भी
यूजीसी चेयरमैन प्रो. सिंह संबोधन के दौरान मेजबान की भूमिका में नजर आए। उन्होंने कहा, विवि के सामने बहुत चुनौती मगर संभावना भी है। सैप और सेंटर फॉर एक्सीलेंस का दर्जा मिला हुआ है। प्रदेश में सबसे पहले स्वपोषित पाठ्यक्रम भी शुरू हुए। मैं इस यूनिवर्सिटी को अपना मानता हूं। डिग्री व मेडल हासिल करने वालों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि आपके लिए यह पहल जीवन पर्यंत आपकी स्मृति में संचित रहेगा।
पहली बार स्कूल के बच्चे हुए शामिल
दीक्षांत समारोह में अब तक यूनिवर्सिटी के द्वारा आमंत्रितों के अलावा मेडलिस्ट और उनके परिजन ही शामिल होते रहे हैं। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने इस बार स्कूल की छात्राओं के लिए सीटें आरक्षित कराई थी। शासकीय अहिल्याश्रम स्कूल क्रमांक 1 की माध्यमिक कक्षाओं की छात्राओं को मेडलिस्ट के भी आगे वाली सीटों पर बैठाया गया। समारोह के
बाद इनके भोजन की भी व्यवस्था थी।
छात्रसंघ चुनाव जरूरी मगर मैं अकेला नहीं ले सकता निर्णय : पटवारी
दीक्षांत समारोह के बाद उच्च शिक्षा मंत्री पटवारी पत्रकारों से रूबरू हुए। छात्रसंघ चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने स्पष्ट जवाब तो नहीं दिया, लेकिन अपने स्तर पर वे इसके पक्ष में नजर आएं। पटवारी ने कहा, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए क्या हम लोकतांत्रिक प्रणाली से सकारात्मक संस्कार कैसे दे सकते हैं, इस सवाल पर जरूर विचार होना चाहिए। यूनिवर्सिटी में ही लोकतांत्रिक प्रणाली नहीं समझाई जाएगी तो देश के लोकतंत्र को लंबे समय तक कैसे बचा सकते हैं। ऐसे वातावरण की जरूरत है, जिसमें छात्र लोकतंत्र को भी जीएं और पढ़ाई, परीक्षा भी प्रभावित न हो। मैं अकेला इस पर निर्णय नहीं ले सकता। प्रबुद्धजनों की एक व्यवस्था को संवैधानिक रूप से आत्मसात कर निर्णय लिया जाएगा।
इन्हें मिले ज्यादा पदक
- समारोह में अलग-अलग संकाय के टॉपर विद्यार्थियों को 116 गोल्ड और 15 सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया।
- सबसे ज्यादा 7 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल डॉ. एलिजा कपाडिय़ा को मिले। वह रेडियोलॉजी में एमडी कर
रही हैं।
- बीए करने वाली गुरलीन कौर छाबड़ा ने 3 गोल्ड के साथ 1 सिल्वर मेडल अपने नाम किया। एलएलबी ऑनर्स में विक्रम सिंह शेखावत, बीई सिविल में रजत त्रिवेदी और बीई कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में अनमोल असरानी को 3-3 गोल्ड मेडल मिले। इस अवधि में 220 पीएचडी डिग्री हुई है, जिनमें से 23 शोधार्थी ही समारोह में शामिल हुए।
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