अंकारा। तुर्की ने घोषणा की है कि वह अमरीका के दवाब में नहीं आएगा। वह रूस के साथ अपने एस -400 एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदने के लिए एक लम्बा सफर तय कर चुके तुर्की ने एलान किया है कि यह समझौता होकर रहेगा और अमरीका का कोई दवाब काम नहीं आएगा। उधर अमरीका को डर है कि यह सौदा नाटो सैन्य गठबंधन को कमजोर कर सकता है।
अमरीका के आगे अड़ा तुर्की
जर्मन मीडिया की खबरों की मानें तो अमरीका ने रियायती मूल्य पर एस 400 से कहीं अधिक महंगी पैट्रियट मिसाइल प्रणाली तुर्की देने को पेशकश की है। तुर्की ने पैट्रियट प्रणाली में रुचि भी दिखाई है, लेकिन उसने साफ कर दिया है कि यह रूस के साथ अपने अनुबंध को तोड़ने की कीमत पर नहीं होगा। तुर्की ने एक जर्मन अखबार की एक रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि तुर्की के अधिकारियों ने अमरीकी दबाव के कारण रूसी विमान-रोधी मिसाइल प्रणाली का अधिग्रहण करने का सौदा रद्द कर दिया था। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के प्रवक्ता फहेट्टिन अल्टुन ने ट्विटर पर लिखा, "एस- 400 की डिलीवरी एक पक्का सौदा है।" आपको बता दें कि जर्मन अखबार ने अपने शनिवार के संस्करण में एक तुर्की राजनयिक के हवाले से दावा किया था कि जुलाई में एस -400 की कोई डिलीवरी नहीं होगी, जैसा कि तुर्की के राष्ट्रपति ने घोषणा की थी।
काम करेगा अमरीका का दबाव ?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है किक्या तुर्की अमरीका को नाराज करने का खतरा मोल लेगा। मीडिया की खबरों में कहा जा रहा है कि अगर तुकी ने रूस से मिसाइल सिस्टम को खरीदा तो अमरीका प्रतिबंधों को लगाकर इसका जवाब दे सकता है, जो तुर्की के "आर्थिक पतन" का कारण होगा। लेकिन रूसी सरकार ने इस रिपोर्ट का खंडन किया। रूसी इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने एक सैन्य स्रोत के हवाले से कहा कि तुर्की के साथ इस सौदे को खत्म नहीं किया गया है । रूस से वायु रक्षा प्रणाली को खरीदने की तुर्की की योजना नाटो सैन्य गठबंधन के भीतर तनाव का कारण बन रही है। यह अमरीका और तुर्की दोनों के लिए एक असमान्य स्थिति है। नाटो के सदस्य देशों को डर है कि रूस S-400 प्रणाली के माध्यम से नाटो विमानों की जासूसी कर सकता है।
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