
भोपाल. उपचुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की यह लगातार दूसरी चूक है। पहले 15 महीने की सत्ता कोई अब उपचुनाव में पार्टी की हार। कांग्रेस के दिग्गज नेता मानते हैं कि जब से कांग्रेस की कमान कमलनाथ ने संभाली बाकी दिग्गज साइडलाइन रहे। इसीलिए जीत और हार का दारोमदार भी कमलनाथ की कंधों पर है।
आज विधायक दल की बैठक
बुधवार यानी की आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक है। इसमें पार्टी के बदलाव के मुद्दे भी उठ सकते हैं। उपचुनाव के नतीजों के रुझान स्पष्ट होने के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय ने सबसे पहले कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हार के कारणों का मंथन होगा।
नेता प्रतिपक्ष का पद भी अहम सवाल
एक बड़ी जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष पद की भी है। इसलिए यह भी अहम सवाल है कि प्रदेश अध्यक्ष पद को रखने या छोड़ने के अलावा नेता प्रतिपक्ष का पद कमलनाथ रखते हैं या छोड़ते हैं। इस पर भी आगे की सियासत निर्भर करेगी भाजपा की बंपर जीत के बाद कांग्रेस को सदन में मजबूत विपक्ष बनना होगा। इसके लिए कमलनाथ खुद जिम्मेदारी निभाते हैं या किसी दूसरे को आगे बढ़ाते हैं।
आगे क्या हो सकता है?
अब कांग्रेस और कमलनाथ के सामने यह रास्ते हैं कि कमलनाथ अध्यक्ष पद पर बरकरार रहें। या फिर प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें और दिल्ली जाकर केंद्र की सियासत करें या फिर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व कमलनाथ को दूसरी जिम्मेदारी दे और संगठन को मजबूत बनाएं। कमलनाथ कांग्रेस में बड़ा कद रखते हैं। इस कारण इन रास्तों का फैसला पार्टी शीर्ष नेतृत्व उनकी सलाह पर ही लेगा।
आखिर क्यों हारी कांग्रेस
बड़े नेताओं की गुटबाजी और अंत तक सक्रिय नहीं होना। कमलनाथ का अकेले मोर्चा संभाला। संगठन के बजाय सर्वे से टिकट देना। गद्दार फैक्टर पर जनता को ना समझा पाना। आइटम व अन्य मुद्दों पर घिरना कांग्रेस की हार के कारण हैं।
कांग्रेस को मिली महज 9 सीटें
कांग्रेस मध्यप्रदेश में 28 सीटें जीतने का दावा कर रही थी लेकिन उपचुनाव में उन्हें केवल 9 सीटों पर ही जीत मिली।
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