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Tuesday, November 10, 2020

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बिहार में एनडीए की लगातार चौथी जीत, स्पष्ट बहुमत के साथ नीतीश बनाएंगे सरकार

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नई दिल्ली। जबरदस्त एंटी इंकबेसी के बावजूद बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनने जा रही है। 2005 के बाद लगातार चौथी बार नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। एनडीए की इस जीत में बीजेपी की 74 सीटों का अहम रोल माना जा रहा है। जबकि इस बार जेडीयू सिर्फ 43 सीटों पर ही सिमट रह गई। वहीं दूसरी ओर महागठबंधन 110 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। आरजेडी अपने 2015 के आंकड़े को पार नहीं कर सकी। जबकि कांग्रेस 20 सीटें भी हासिल नहीं कर पाई। लेफ्ट पार्टियों का प्रदर्शन शानदार रहा। सुबह के पहले घंटे के रुझानों में महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलता हुआ दिखाई दिया, बाद में दोनों गठबंधनों खासकर बीजेपी और आरजेडी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली।

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एनडीए को स्पष्ट बहुमत, महागठबंधन पिछड़ा
पहले बात दोनों गठबंधनों की करें तो एनडीए को पूर्ण बहुमत मिल गया। जिसका दावा खुद बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने किया है। एनडीए के लिए यह जीत बिल्कुल भी आसान नहीं थी। कांटे की टक्कर और काफी इंतजार के बाद 125 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं दूसरी ओर महागठबंधन आखिरी दौर में पिछड़ता हुआ दिखाई दिया और 110 सीटों पर ही उसे संतोष करना पड़ा। वैसे आरजेडी और कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ इलेक्शन कमीशन जाने बात भी कही। जिसके बाद इलेक्शन कमीशन की ओर से सफाई दी गई कि वो किसी के दबाव में आकर काम नहीं करता है। जहां भी क्लोज फाइट है वहां पर दोबारा से काउंटिंग हो सकती है।

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एनडीए में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आई
अगर बात एनडीए में सभी पार्टियों के प्रदर्शन की करें तो बीजेपी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी यानी बड़े भाई की भूमिका में आई। जहां बीजेपी को 74 मिली, वहीं जेडीयू फिसलकर 43 सीटों पर आ गई। बीजेपी को इस बार 21 सीटों का फायदा हुआ है। वहीं वीआईपी ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया। जबकि वीआईपी के फाउंडर मुकेश साहनी अपना चुनाव बख्तियारपुर से हार गए। एचएएमएस ने भी चार सीटों पर जीत हासिल की।

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महागठबंधन में कांग्रेस ने किया निराश
वहीं दूसरी ओर महागठबंधन में कांग्रेस ने काफी निराश किया। वो 2015 के मुकाबले 8 सीटों के नुकसान के साथ 19 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। जबकि पूरे बिहार चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन वो 2015 के मुकाबले 5 सीटों से पिछड़ गई। आरजेडी को 75 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। लेफ्ट पार्टियों का प्रदर्शन काफी शानदार रहा। सीपीआईएमएलएल को 12, सीपीआईएम और सीपीआई को 2-2 सीटों से संतोष करना पड़ा। वैसे लेफ्ट को कुल 30 पर चुनाव लडऩे का मौका मिला था, उसके बावजूद उन्होंने 18 सीटों पर जीत हासिल की।

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बुझ गया चिराग, एआईएमआईएम हुआ खुश
वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल तक भेजने की सिफारिश करने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने काफी निराश किया। जिस तरह से उन्होंने चुनाव लड़ा था उनसे काफी उम्मीदें थी, लेकिन वो एक ही सीट हासिल कर सकी। इसके विपरीत असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम जबरदस्त प्रदर्शन किया और 5 सीटें अपने नाम की। वहीं बीएसपी को एक और निर्दलीय प्रत्याशी को एक सीट हासिल हुई।

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कई नामी चेहरों को मिली हार
अगर बात नामी प्रत्याशियों के हार की बात करें तो लंदन रिटर्न पुष्पम प्रिया को बिहार की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया। बांकेपुर सीट से वो चुनाव लड़ी थी और इसी सीट से चुनाव लडऩे वाले शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को भी हार का सामना करना पड़ा। शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव भी बिहारीगंज विधान सभा सीट से हार गईं। तेजस्वी यादव और तेज प्रताप दोनों भाई अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। वहीं आरजेडी से लड़े बाहुबली अनंत कुमार सिंह भी जीत गए। जीतनराम मांझी शुरुआत में पिछड़ रहे थे। बाद में उन्होंने भी जीत का डंका बजाया।



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