नई दिल्ली. अगर आप सोच रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) जल्द लोगों की जगह ले लेगा और नौकरियां चली जाएंगी तो यह गलत है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) की ओर से किए गए अध्ययन में बताया गया कि कर्मचारियों की जगह लेने के लिए एआइ का इस्तेमाल अभी बहुत महंगा है। कंपनियों के लिए नई तकनीक खरीदने की तुलना में कर्मचारी को पगार देना अधिक सस्ता है। एमआइटी के शोधकर्ताओं की बियॉन्ड एआइ एक्सपोजर नाम की रिपोर्ट में एआइ और नौकरियों में संबंध को लेकर कई आशंकाओं को खारिज कर दिया। अध्ययन में बताया गया कि किसी कार्य को मानव श्रमिकों की तरह करने के लिए एआइ विकसित करना आर्थिक रूप से अभी कंपनियों के हित में नहीं है। कंपनियों को एआइ की मदद से कार्य करने और आर्थिक रूप में लाभ उठाने के लिए कई दशक लगेंगे।
23 फीसदी काम ही होंगे फायदेमंद
अध्ययन में 800 व्यवसायों में होने वाले 1000 एआइ कार्यों के बारे में जानकारी ली गई और ऑनलाइन सर्वेक्षण किया गया। इसमें बताया गया कि बहुत कम काम एआइ से कराने पर आर्थिक रुपए से फायदा हो सकता है। यह संख्या 2026 तक बढक़र 40 फीसदी हो सकती है। रिपोर्ट में बताया गया कि एआइ से कराने पर फिलहाल मात्र 23 फीसदी काम आर्थिक रूप से फायदेमंद होंगे।
सिर्फ 18 फीसदी नौकरियां होंगी प्रभावित
गोल्डमैन सैक्स की 2023 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि एआइ वैश्विक स्तर पर 30 करोड़ नौकरियों या 18 प्रतिशत काम को प्रभावित कर सकता है। हालांकि एमआइटी के अध्ययन में बताया गया कि एआइ में सुधार से डेटा की सटीकता और दक्षता में वृद्धि हो सकती है।
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