पेरिस. सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण प्राकृतिक खगोलीय घटनाएं हैं, लेकिन यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में कृत्रिम सूर्यग्रहण रचने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए ईएसए का प्रोबा-3 मिशन सितंबर में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के सहयोग से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्चिंग इसरो के पीएसएलवी के जरिए होगी। मिशन में दो छोटे सैटेलाइट शामिल होंगे।
ईएसए के वैज्ञानिकों के मुताबिक कृत्रिम सूर्यग्रहण रचने के लिए दो उपग्रहों का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे सूर्य के धुंधले कोरोना के नए दृश्य सामने आएंगे। कृत्रिम सूर्यग्रहण के अलावा मिशन का मकसद सौर कोरोना और सौर हवा की गतिशीलता का अध्ययन करना है। यह अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं को समझने के लिए अहम होगा। प्रोबा-3 मिशन में दो परिष्कृत छोटे सैटेलाइट को अंतरिक्ष की अलग परिस्थितियों के लिए डिजाइन किया गया है। एक सूर्य के निरीक्षण के लिए कोरोनोग्राफ के रूप में, जबकि दूसरा ऑकुल्टर के रूप में कार्य करेगा। ऑकुल्टर सूर्य की चमक को रोकता है। इससे कोरोनाग्राफ धुंधले सौर कोरोना की छवि बनाएगा।
अंतरिक्ष में उन्नत संचालन के रास्ते खुलेंगे
इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सोलर ऑब्जर्वेशन है। मिशन सटीक उड़ान का भी प्रदर्शन करेगा, जो अंतरिक्ष में अधिक उन्नत संचालन के लिए रास्ते खोलेगी। दोनों सैटेलाइट का अलाइनमेंट 150 मीटर की दूरी पर होगा। प्रोबा-3 मिशन की कामयाबी भविष्य के स्पेस टेलीस्कोप और ईंधन भरने वाले मिशनों के लिए भी अहम होगी। मायावी सूर्यग्रहण से सौर अनुसंधान के लिए अनमोल डेटा मिलेगा।
दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर
दो सैटेलाइट में से एक 340 किलोग्राम का कोरोनाग्राफ और दूसरा 200 किलोग्राम का ऑकुल्टर होगा। दोनों अत्याधुनिक उपकरणों और नियंत्रण प्रणालियों से लैस होंगे। अंतरिक्ष में नकली सूर्यग्रहण रचने वाले इस मिशन पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर होगी। ईएसए और इसरो के बीच साझेदारी के लिहाज से भी मिशन अहम है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/VJsYFR8
No comments:
Post a Comment