
इंदौर. एक दिन पहले अंतरात्मा और पार्टी के प्रति समर्पण की कसमें खाकर नाम वापस लेने वाले बागी चंद घंटों बाद ही उन्हें भूल गए। एक दिन पहले जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर साथ लडऩे की कसम खाई थी, वे अगले ही दिन क्षेत्र में जाना तो दूर सारी सियासत छोडक़र अपने काम-धंधे में मशगूल नजर आए। कोई शहर छोडक़र निकल गया तो कोई चंद कदमों की दूरी पर चल रहे पार्टी प्रत्याशी के जनसंपर्क को छोडक़र घर में ही कार्यकर्ताओं के बीच ही बैठा रहा।
इंदौर. नेताओं के सियासी दावों की हकीकत एक दिन में ही सामने आ गई। बुधवार को जो साथ लडऩे और जीतने की कसमें खा रहे थे वे गुरुवार को रणक्षेत्र में कहीं नजर ही नहीं आए। टिकटों की होड़ और बगावत की यह कहानी पूरी सियासी है। पत्रिका ने इसकी परतें उघाडऩे की कोशिश की तो कई दिलचस्प बातें सामने आई। यह कहानी चुनाव की घोषणा के भी काफी समय पहले से शुरू हो गई थी। एक-एक विधानसभा क्षेत्र से कई कार्यकर्ताओं ने टिकट उम्मीद लगाई थी। इसी के चलते टिकट वितरण को लेकर इस बार रिकॉर्ड खींचतान हुई। इसी चलते दोनों ही पार्टियों को शहरी क्षेत्र की सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने में पसीना आ गया। भाजपा तो नामांकन जमा करने की आखिरी तारीख के एक दिन पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर पाई। कांग्रेस ने भी तीन हिस्सों में प्रत्याशियों के नाम जारी किए। इसी खींचतान ने बाद में बगावत का रूप ले लिया। कांग्रेस में सबसे ज्यादा घमासान क्षेत्र क्रमांक एक में हुआ। यहां पार्टी ने पहले प्रीति अग्निहोत्री को टिकट दिया और फिर उनका पत्ता काटकर अन्य दावेदार संजय शुक्ला को मौका दे दिया। पिछली बार निर्दलीय रूप से दूसरे नंबर पर रहे कमलेश खंडेलवाल को इस बार भी मौका नहीं मिल पाया। दोनों ने ही बगावत कर निर्दलीय नामांकन जारी तो कर दिया, लेकिन बाद में प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और अपने राजनीतिक सरपरस्त कमलनाथ और दिग्विजयसिंह के कहने पर मान गए। फॉर्म वापस ले लिए। नाम वापसी के समय दोनों ही बड़े-बड़े दावे किए थे कि पार्टी के लिए मैदान से हटे हैं। मामला परिवार का था और अब सुलझ चुका है। कोई मतभेद नहीं है और अब वे मिलकर ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अगले दिन दोनों ही चुनाव मैदान में कहीं नजर नहीं आए। इसी तरह भाजपा में क्षेत्र क्रमांक तीन में भाजपा नेता ललित पोरवाल ने पार्टी में वंशवाद के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए नामांकन दर्ज कराया था। आखिरी समय तक अड़े हुए थे। वे अपनी 38 वर्ष की सियासी सेवाओं का प्रतिफल चाहते थे। हालांकि उन्हें भी पार्टी और परिवार के दबाव में नाम वापस लेना पड़ा और अब वे भी चुनाव से पूरी तरह बाहर हैं। इसी तरह पार्षद जगदीश धनेरिया ने भी नामांकन दाखिल किया था। नाम वापसी के एक दिन पहले तो वे पार्टी प्रत्याशी आकाश विजयवर्गीय के साथ नजर आए, लेकिन अगले दिन चंद कदम की दूरी पर जनसंपर्क होने के बाद भी उसमें शामिल नहीं हुए। यही कहानी राऊ में भी दोहराई गई। वहां से भाजपा के बागी ओमप्रकाश यादव ने नाम वापस तो ले लिया, लेकिन चुनाव की मुख्यधारा से भी किनारा कर लिया। कांग्रेस के अन्य बागी छोटे यादव ने क्षेत्र क्रमांक से टिकट मांगा था। नाम वापसी के बाद वे शहर छोडक़र महू चले गए। हालांकि सभी चर्चा में पार्टी के लिए काम करने का दावा जरूर कर रहे हैं। वैसे पार्टी की ओर से भी अभी इन्हें किसी तरह की जिम्मेदारी देने की बात सामने नहीं आई है।
विधानसभा 1 से बागी हुए गोलू अग्निहोत्री व उनकी पत्नी प्रीति अग्निहोत्री ने मैदान नहीं संभाला है। गुरुवार को गोलू ज्यादातर समय अपने पम्प पर समर्थकों के साथ बैठकर चर्चा करते रहे।
गोलू बोले- दूसरी विधानसभा में काम करेंगे
मि लने के बाद पत्नी का टिकट कटने और नाम वापस लेने का गम गोलू के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। जो भी मिलने पहुंच रहा था वह उन्हें सांत्वना ही दे रहा था। एक दिन पहले उन्होंने साथ मिलकर काम करने का इरादा जताया था, लेकिन गुरुवार को उनके हाव-भाव से ऐसा कुछ नजर नहीं आया। उन्होंने कहा, पार्टी के आदेश पर नाम वापस लिया है। अब पार्टी जैसा आदेश करेगी वैसा करेंगे। वैसे भी विधानसभा एक के प्रत्याशी तो हम पर भरोसा कम ही करेंगे। ऐसे में हम तो हमारे दो वार्डों में ही पार्टी के लिए काम करेंगे। दूसरी विधानसभा के लिए भी काम करेंगे।
सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दम पर विधानसभा एक में अपनी पहचान बनाने वाले कमलेश खंडेलवाल ने टिकट की उम्मीद पर क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी थी। टिकट नहीं मिला तो बागी तेवर दिखाए।
भोपाल गए कमलेश, बोले-लौटकर काम करूंगा
विधानसभा क्रमांक 1 से ही कमलेश खंडेलवाल ने पूरे जोर शोर से बागी बनकर मैदान संभाला था। काफी मान मनौव्वल के बाग आखिरकार पार्टी नेताओं के कहने पर नाम वापस लिया। हालांकि गुरुवार को वे भोपाल चले गए। पत्रिका से कमलेश ने कहा, पारिवारिक काम से भोपाल आना पड़ा है। शुक्रवार को लौटकर शहर में काम संभाल लूंगा। हालांकि वे इतना जरूर कह रहे है कि जाने से पहले मैंने कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनसे बात की है। सभी की बात सुनने के बाद उन्हें समझाइश दी है कि वे कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में काम करेंगे। भोपाल से लौटकर मैं भी कांग्रेस के लिए काम करूंगा।

विधानसभा 3 से भाजपा ने आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिया तो पार्षद जगदीश धनेरिया बागी बन गए। दबाव में नाम वापस लिया, लेकिन फिलहाल सक्रियता दिखाई नहीं दे रही है।
पास में आकाश का जनसंपर्क, धनेरिया अपने घर में
गुरुवार दोपहर ‘पत्रिका’ टीम धनेरिया के ऑफिस पहुंची तो पता चला कि वे घर में भोजन कर रहे हैं। पास ही कांग्रेस पार्षद के वार्ड आलापुरा में भाजपा उम्मीदवार आकाश विजयवर्गीय का जनसंपर्क चल रहा था। कुमावतपुरा में उनके ऑफिस पर बैठे कुछ कार्यकर्ता बोले, 19 नवंबर को उम्मीदवार का हमारे क्षेत्र में जनसंपर्क है, जिसमें पूरी ताकत दिखाएंगे। कुछ देर के इंतजार के बाद आए धनेरिया बोले- पार्टी ने कहा है कि अपने वार्ड में उम्मीदवार के लिए काम करना है। उनका दावा है कि पूरी विधानसभा में मेरे इलाके में भाजपा को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे।
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 में भाजपा से बागी होकर निर्दलीय फॉर्म भरने वाले ललित पोरवाल ने मान-मनौव्वल के बाद पैर पीछे खींच लिए। गुरुवार को वे अपने कार्यालय पहुंचे और समर्थकों से मिले।
24 घंटे में बदले सुर, भाजपा कार्यालय में बिताया दिन
स मर्थक पोरवाल की फॉर्म वापसी से निराश दिखे तो पोरवाल ने उन्हें समझाइश दी और कहा कि भारतीय जनता पार्टी एक परिवार है। हमें अधिकृत प्रत्याशी को जीताने में ताकत झोंकना है। पोरवाल ने कहा कि चुनाव मैदान से बाहर होने के कारण अब आर्थिक सहयोग नहीं चाहिए, लेकिन आप लोग चुनाव तक ऐसे ही मैदान में सक्रिय रहे। कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद दोपहर करीब दो बजे वे पार्टी मुख्यालय पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा की तैयारियों को लेकर हुई बैठक में हिस्सा लिया। शाम करीब साढ़े ७ बजे तक वे पार्टी कार्यालय में ही रहे।
पांच नंबर विधानसभा में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बागी बन नामांकन दाखिल करने वाले छोटे यादव ने भले ही अपनी दावेदारी वापस ले ली है लेकिन क्षेत्र से दूरी बनाए हुए हैं। अन्य क्षेत्र में पार्टी का प्रचार कर रहे हैं।
पांच नंबर से दावेदार यादव महू, इंदौर-1 में कर रहे प्रचार
गु रुवार को महू में कांग्रेस प्रत्याशी अंतरसिंह दरबार के क्षेत्र में प्रचार करने गए। दिनभर जनसंपंर्क में उनके साथ रहे। यहां कैलाश पांडे, सुंदरलाल जाट के साथ बैठक भी की। यादव समाज के लोगों को कांग्रेस के लिए काम करने के लिए मनाया। नामांकन वापसी के बाद वे विधानसभा 5 के कांग्रेस प्रत्याशी सत्यनारायण पटेल के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन में शामिल हुए। अगले ही दिन इंदौर-1 में पार्टी प्रत्याशी संजय शुक्ला के जनसंपर्क में शामिल होकर पूरा दिन वहां काम किया। छोटे यादव बोले, विधानसभा-5 में कांग्रेस के नेताओं ने उनके आने पर वोट कटने की बात प्रत्याशी सत्यनारायण पटेल को कही थी। उनकी टीम काम कर रही है।
प्रचार के लिए नहीं उतरे, घर में ही बैठे रहे यादव
राऊ से ओमप्रकाश यादव ने भी बगावत कर निर्दलीय के रूप में मैदान पकड़ा और नाम वापसी के पहले जनसंपर्क में भी जुट गए थे
भा जपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री यादव नाम वापसी के बाद अभी पार्टी उम्मीदवार के लिए मैदान में नहीं आए है। गुरुवार को वे अपने घर में ही रहे और कार्यकर्ताओं को समझाते रहे। उन्हें सांत्वना देते रहे। बताते हैं, उन्हें राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ने शुक्रवार को दिल्ली बुलाया है, जिसमें सभी मोर्चा के राष्ट्री पदाधिकारियों के साथ वे चुनावी रणनीति पर चर्चा करेंगे। उनका दावा है कि नई दिल्ली से लौटने के बाद वे अपनी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में जनसंपर्क शुरू करेंगे। हालांकि पहले दिन के हाव-भाव से ऐसा कोई इरादा नजर नहीं आया।
अब विशाल के लिए काम कर रहे मोती पटेल
जि ला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल ने भी देपालपुर से अधिकृत उम्मीदवार विशाल पटेल के खिलाफ मैदान संभाला था।
ने ताओं की समझाइश के बाद मोती पटेल नाम वापस लेने को तैयार हो गए। हालांकि नाम वापसी के बाद वे अकेले ऐसे नेता हैं, जो घर बैठने या किसी और क्षेत्र में जाने के बजाय क्षेत्र में ही काम करते नजर आ रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से हुई बातचीत के बाद ही पटेल के तेवर बदले। उनकी टीम भी मैदान में उतरी। गुरुवार को वे विशाल पटेल के समर्थन में ही क्षेत्र में सक्रिय नजर आए। कई नेताओं के साथ जाकर उन्होंने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की बैठकें लेकर कांग्रेस को जिताने की मुहिम में भागीदारी दिखाई।
जो आखिरी वक्त तक टिकट की दौड़ में थे, उन्होंने खुद संभाली अपनी-अपनी भूमिका, कोई घर से ही कार्यकर्ताओं को समझा रहा तो कोई रणनीति बनाने में लगा
शंकर लालवानी
वर्तमान में इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष है। उन्होने सिंधी समाज के समर्थन के चलते 3 व 4 नंबर से दावेदारी की थी। पार्टी ने उन्हें आने वाले समय में प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी के साथ निकाय चुनावों में तैयार रहने के लिए कहा है।
विजय मालानी
आइडीए संचालक रहे। दिल्ली कनेक्शन और सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर ४ नंबर से टिकट दावेदारी कर रहे थे। फिलहाल पार्षद दीपक जैन टीनू के साथ इन्हें बाहर से आने वाले नेताओं की मेहमानवाजी का काम सौंपा गया है।
गोविंद मालू
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी रहे। तीन नंबर से दावेदारी कर रहे थे। सीएम के रोड शो में उषा ठाकुर के कार्यकर्ताओं से ठन गई थी। निगम मंडलों में रहें, अब फिर पार्टी ने आश्वस्त किया है। बताया जा रहा है, फिलहाल तीन नंबर में व्यस्त हैं।
जीतू जिराती
राऊ विधानसभा से विधायक रहें जिराती तीसरी बार भी दावेदारी कर रहे थे। पार्टी ने उन्हें आश्वस्त किया है, अगला महापौर पुरूष होगा। जिराती शुरूआत में तो मधु वर्मा के दिखे, अभी किसी ओर दायित्व का इंतजार कर रहे हैं।
अजयसिंह नरूका
निगम परिषद में सभापति नरूका ५ नंबर से दावेदार थे। बताया जा रहा है, उन्हें वर्तमान में सभापति के दायित्व का हवाला देते हुए सरकार बनने पर प्रमोट करने का आश्वासन दिया है। वर्तमान में वे पार्टी के प्रचार प्रसार में अप्रत्यक्ष रूप से लगे है।
विनय बाकलीवाल
छात्र राजनीति से आगे आए विनय बाकलीवाल पांच नंबर व खातेगांव विधानसभा से दावेदारी कर रहे थे। पार्टी ने उन्हें चुनाव से पहले ही शहर कांग्रेस कार्रवाहक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी। अभी सभा मैनेजमेंट में लगे हुए है।
चिंटू चौकसे
दो नंबर विधानसभा से दावेदार थे। हालांकि पार्टी ने उनके बजाय मोहन सेंगर को टिकट दे कर अपना उम्मीदवार बनाया है। चौकसे को संगठन में ऊपर जिम्मेदारी सौंपने के लिए आश्वस्त किया है। फिलहाल चुनाव प्रचार में लगे हैं।
अर्चना जायसवाल
महापौर का चुनाव लड़ चुकी है। दिल्ली संबंधों के जरिए विधानसभा पांच से टिकट मांग रही थी। फिलहाल पार्टी ने सरकार बनने पर किसी आयोग में भोपाल बुलाने के लिए आश्वस्त किया है। अभी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित कर रही हैं।
दीपक जोशी पिंटू
शहर की सबसे छोटी विधानसभा से अपने काका के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए पिंटू टिकट मांग रहे थे। युवा फौज के सहारे थे। पार्टी ने उन्हें भविष्य का नेता कहते हुए समझाया, फिलहाल भाई के साथ प्रचार कर अपना दायित्व निभा रहे हैं।
पंकज संघवी
गुजराती समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। शहर की सबसे बड़ी विधानसभा 5 से दावेदारी कर रहे थे। दो बार चुनाव हार चुके हैं। पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया। अभी कमजोर उम्मीदवारों को मजबूत बनाने की रणनीति में लगे हैं।
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