इंदौर. जंगली जानवर लगातार शहर में दस्तक दे रहे हैं, लेकिन वन विभाग के अफसर इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। वन विभाग की ऐसी ही लापरवाही के चलते शहर के प्रमुख राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर के छात्रों की जान खतरे में पड़ गई। संस्थान वन विभाग को अपने परिसर में जंगली जानवरों के आने की शिकायत लगातार करता रहा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। हारकर संस्थान ने अपने स्तर पर ही जानवरों को पकडऩे के लिए पिंजरा यहां लगाया। सोमवार दोपहर इसमें तेंदुआ कैद हो गया। इसके बाद वन विभाग मुख्यालय की नींद खुली और उन्होंने तुरंत रेस्क्यू टीम को भेजकर तेंदुए को अपने कब्जे में लिया। उसका स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के बाद फिर से जंगल में छोड़ा गया।
दिसंबर के अंत से ही आइआइटी लगातार अपने परिसर में जरक, जंगली जानवर आदि के घूमने और इन्हें पकडऩे के लिए वन विभाग के इंदौर मुख्यालय को कह रहा था। लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। परेशान होकर आइआइटी प्रबंधन ने 2 जनवरी को कैंपस के उद्यान के नजदीक पिंजरा बनवाकर रखवा दिया। 7 जनवरी को इसमें तेंदुआ फंस गया। दोपहर में उसके दहाडऩे की आवाज के बाद जब सिक्योरिटी वालों ने देखा तो वन विभाग को सूचना दी। यहां पहुंची रेस्क्यू टीम ने कैंपस में ही तेंदुए को अपने साथ लाए पिंजरे में शिफ्ट किया और इसे लेकर चिडिय़ाघर पहुंचे। यहां इसका स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के बाद उसे लेकर जंगल रवाना हो गए। वन विभाग के अफसर इसकी भनक किसी को भी नहीं लगने देना
चाहते थे।
7 साल में 6 बार आबादी में आया तेंदुआ
- 2013 में सिंहासा में खेत में पड़े शिकंजे में पैर फंसने से तेंदुआ घायल हो गया था।
- 2014 में रालामंडल के पास के गांव में सामने आया, लेकिन पकड़ में नहीं आया।
- 25 जनवरी 2015 को आरआरकैट में तेंदुआ पकड़ाया था। कैट प्रबंधन की शिकायत पर पिंजरा लगाए जाने के दूसरे दिन ही ये पकड़ा गया था।
- 2017 में सांवेर रोड स्थित फैक्ट्री में तेंदुआ घुसा था। इसे चिडिय़ाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बेहोश कर पकड़ा था।
- 2018 में पल्हरनगर कॉलोनी में तेंदुआ आबादी में घुस गया था। इसने वन विभाग के दो एसडीओ को घायल कर दिया था। इसे भी डॉ. यादव ने बेहोश किया था।
जंगली जानवर की शिकायत पर हम सर्च भी कर रहे थे। तेंदुआ पकड़ाने की सूचना पर टीमें आइआइटी पहुंची और उसे जंगल में छोड़ दिया है। परीक्षण में वह स्वस्थ्य पाया गया था।
- एल्विन बरमन, एसडीओ, इंदौर
कैट रोड से नावदापंथ तक ढूंढ़ रहे थे तेंदुआ
वन विभाग विभाग के अफसरों को तेंदुए की सूचना मिली थी, जिसके बाद वन विभाग की टीमों ने धार रोड के नावदापंथ से लेकर कैट रोड तक पूरे हिस्से में न सिर्फ सर्चिंग अभियान चलाया था, बल्कि उसके लिए पिंजरे भी लगाए थे, लेकिन तेदुआ नहीं मिला और खंडवा रोड क्षेत्र में पकड़ में आया।
ठंड में आते हैं बाहर
तेंदुआ वैसे तो ज्यादातर जंगली क्षेत्र में ही रहते हैं, लेकिन ठंड के दौरान जंगल के सर्द मौसम से राहत के लिए बाहर निकल आते हैं। खासकर ऐसे स्थानों पर, जहां शिकार मिलना आसान हो। आइआइटी सिमरोल और चोरल के जंगलों से लगे हुए क्षेत्र में तेंदुए मौजूद हैं। संवेदनशील क्षेत्र होने के बाद भीजंगली जानवरों के फुट प्रिंट की जानकारी कभी वन विभाग ने नहीं निकाली।
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