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Wednesday, July 31, 2019

पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व सीएस एवी सिंह सहित 5 लोग ट्रेजर आइलैंड जमीन मामले में दोषमुक्त

इंदौर के बहुचर्चित ट्रेजर आइलैंड जमीन मामले में अदालत ने ईओडब्ल्यू- सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट मंजूर कर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्य सचिव एवी सिंह एवं पूर्व पर्यावरण मंत्री चौधरी राकेश सिंह, वीपी कुलश्रेष्ठ, पद्मा कालानी को धोखाधडी- भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त कर दिया है।

राजनीतिक मामलों के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेश सिंह ने यह आदेश दिए हैं। अदालत ने मामले में फरियादी महेश गर्ग की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ दायर प्रोटेस्ट की याचिका भी खारिज कर दी है। अदालत के अनुसार मामले में 2 जांच एजेंसियों ने दिग्विजय सिंह सहित अन्य के खिलाफ सबूत न पाकर क्लोजर रिपोर्ट पेश की है। ऐसे में क्लोजर रिपोर्ट मंजूर की जाती है।

इंदौर की एमजी रोड पलासिया स्थित बेशकीमती एक लाख स्कवायर फिट आवासीय भूमि का उपयोग बदलकर व्यवसायिक कर दिया गया था। मई 2003 में जमीन पर आमोद -प्रमोद, परिवारिक मंनोरंजन केन्द्र, मल्टीप्लेक्स, शॉपिंग मॉल बनाने के लिए भूमि स्वामी कालानी ब्रदर्स की मेसर्स इंटरटेंडमेंट और हाउसिंग बोर्ड के बीच एमओयू साईन हुआ था। एमओयू के अनुसार हाउसिंग बोर्ड के 51 प्रतिशत शेयर थे।

इस योजना से हाउसिंग बोर्ड को 2 करोड 25 लाख रूपये मिलना थे। नवंबर 2003 में विधानसभा चुनाव के बाद भूमि स्वामी को लाभ पहुंचाने के लिए एमओयू निरस्त कर दिया गया। एमओयू निरस्त होने के बावजूद दिसंबर 2003 में तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से राजपत्र में अधिसूचना जारी कर दी गई थी।

इस मामले में ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2008 में महेश गर्ग की शिकायत पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित 12 के खिलाफ धोखाधडी, दस्तावेजों में कूट रचना और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने अन्य आरोपियों के खिलाफ चालान पेश कर दिग्विजय सिंह के खिलाफ वर्ष 2012 में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी।

मामले के फरियादी महेश गर्ग की अर्जी पर सुनवाई के बाद जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने मामले में जांच के बाद दिग्विजय सिह, एवी सिह, चौधरी राकेश सिंह के खिलाफ पर्याप्त आधार नहीं पाये जाने पर क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी।

इनके खिलाफ पेश किया था चालान

ईओडब्ल्यू ने विवेचना के बाद हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष चन्द्रप्रभाष शेखर, टीएंडसीपी के आयुक्त सह संचालक वीपी तिवारी, रिटायर्ड प्रमुख सचिव यूके सामल, मनीष कालानी, सहायक यंत्री अश्विन जनवदे, राकेश शर्मा के खिलाफ वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधडी के तहत चालान पेश किया था।



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