सौरभ कुमार गुप्ता.
Deepa Karmakar Exclusive Interview: 2016 टोक्यो ओलंपिक गेम्स में दीपा कर्माकर भले ही चौथे स्थान पर रहकर पदक जीतने से चूक गई थीं, लेकिन उनके ऐतिहासिक प्रदर्शन ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया था। वह ओलंपिक के फाइनल वाउल्ट में जगह बनाने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट थीं। लेकिन इसके बाद लगातार चोट ने उनके करियर को बुरी तरह से प्रभावित किया। बढ़ती उम्र और चोटों के कारण लोगों ने उन्हें खेल से संन्यास लेने की सलाह भी दी। लेकिन दीपा ने हिम्मत नहीं हारी और हाल ही में 30 साल की उम्र में वापसी करते हुए नेशनल चैंपियनशिप में खिताब जीता। पत्रिका से खास बातचीत में दीपा ने अपने संघर्ष और अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया।
1) चोटिल होना व खेल से दूर रहना तकलीफ देता था
आप सभी जानते हैं कि चोट के कारण मुझे काफी समय तक खेल से दूर रहना पड़ा। एक एथलीट के लिए खेल से दूर रहना और फिर वापसी करना बेहद ही मुश्किल होता है। लेकिन एक बात मेरे दिमाग में हमेशा से थी कि, मुझे वापसी करनी है। इस दौरान मेरे परिवार, मेरे कोच और करीबी दोस्तों ने मेरा बहुत साथ दिया। इन्होंने लगातार मेरी हौसलाअफजाई की और इसी कारण मैं वापसी करने में सफल रही।
2) नेशनल चैंपियनशिप की जीत ने ताकत दी
बहुत अच्छा लगता है, जब आपको कड़ी मेहनत का फल मिलता है। लंबे समय बाद वापसी करना और नेशनल चैंपियनशिप बनना, मेरे लिए खुशी का एक बड़ा पल था। मैं खुश हूं कि मेरी वापसी अच्छी रही है। मुझे अब इससे आगे बढऩे की ताकत मिली है।
3) दबाव से निपटने के लिए साइक्लोजिस्ट की मदद ली
मैंने सोच लिया था कि मेरे बारे में कोई कुछ भी बोले, लेकिन मुझे उसपर ध्यान नहीं देना है और सिर्फ खेल में वापसी पर ध्यान फोकस करना है। मैं सुनती थी कि लोग कहते थे कि दीपा की उम्र बहुत बढ़ रही है और अब वो वापसी नहीं कर सकती, उसे खेल से संन्यास ले लेना चाहिए। लेकिन मैंने ठान लिया था कि मुझे हर हाल में वापसी करनी है। हां, दबाव रहता है और इस दौरान मैंने एक साइक्लोजिस्ट की मदद ली। उन्होंने मुझे काफी प्रेरित किया और कई अच्छी सलाह दी। इससे मुझे दबाव से उबरने में काफी मदद मिली।
4) खुद पर भरोसा होना बेहद जरूरी है
किसी भी एथलीट के जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही हैं। ऐसे में जो एथलीट दबाव से उबरना जानता है, वो कभी भी वापसी कर सकता है। इसके लिए आपको खुद पर भी भरोसा होना चाहिए। आपके अंदर कड़ी मेहनत और खेल के प्रति जुनून होना चाहिए।
5) फेडरेशन से आग्रह है कि ज्यादा से ज्यादा कैंप लगाए
मेरा जिम्नास्टिक फेडरेशन ऑफ इंडिया से आग्रह है कि एथलीटों के लिए ज्यादा से ज्यादा कैंप लगाए जाएं, जिससे हम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर सकें। कैंप के बिना एथलीटों के लिए तैयारी करना बहुत मुश्किल हो जाता है। आप घर पर आखिर कितनी ट्रेनिंग कर लेंगे?
6) अभी मैं पेरिस ओलंपिक के बारे में नहीं सोचती
सच कहूं तो अभी पेरिस ओलंपिक गेम्स मेरे दिमाग में नहीं है। अभी आगे एशियन चैंपियनशिप और वल्र्ड कप का आयोजन होना है। मेरा फोकस फिलहाल इन बड़े टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करना और फिट रहना है।
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